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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2776
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 2

क्षेत्रीयकरण प्रादेशीकरण के आधार एवं दृष्टिकोण

(Basis and Approaches of Regionalisation)

प्रश्न- क्षेत्रीयकरण को समझाते हुए इसके मुख्य आधारों का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

क्षेत्रीयकरण की अवधारणा

भूगोल विषय में क्षेत्रीयकरण या प्रादेशीकरण का आशय है-“पू-सतह को कई भागों में या प्रदेशों में समरूपता के आधार पर विभक्त करना, उनका विश्लेषण करना, अध्ययन करना तथा वर्णन प्रस्तुत करना। यह एक विधितन्त्रीय प्रक्रिया है जो किसी भूभाग को प्रदेशों में बांटने के लिए अपनायी जाती है। ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी अथवा उसके किसी वृहत् भूभाग के व्यवस्थित अध्ययन के लिए उस क्षेत्र का प्रादेशीकरण एक आवश्यक प्रक्रिया है। किसी वृहत् भूखण्ड को विभिन्न विशेषताओं के आधार पर क्रमबद्ध रूप से विभिन्न प्रदेशों में विभक्त करने का उद्देश्य केवल भौगोलिक अध्ययन करना ही नहीं है वरन् नियोजित क्षेत्रीय विकास, क्षेत्रीय सन्तुलन, प्रशासनिक नियंत्रण तथा अन्य सामाजिक विज्ञानों के सुचारु अध्ययन के लिए भी प्रादेशीकरण की आवश्यकता पड़ती है"।

भूगोल में क्षेत्रीयकरण का सबसे अधिक उपयोग प्रादेशिक नियोजन के क्षेत्र में किया गया है।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व के अधिकांश देशों ने अपने नियोजित विकास हेतु क्षेत्रीयकरण को आधार मानकर विकास की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। इससे पहले 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध एवं 20वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में रिटर, रेटजेल, हेटनर, हरबर्टसन, कार्ल सावर, हार्टशान, कार्ल ट्राल, रॉबर्ट ई० डिकिंसन आदि भूगोलवेत्ताओं ने क्षेत्रीयकरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

रॉबर्ट ई० डिकिंसन के अनुसार - "प्रादेशीकरण की विचारधारा किसी क्षेत्र में मिलने वाली भौगोलिक या स्थानिक घटनाओं के जटिल समूह से जुड़ी हुई है।

इसके लिए उस क्षेत्र में हमें तीन मुख्य तथ्यों का अध्ययन करना आवश्यक है-

(1) जिस प्रदेश या भू-सतह का हम प्रादेशीकरण करना चाहते हैं उस प्रदेश की भौतिक तथा सांस्कृतिक विशेषताओं की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए।

(2) उस प्रदेश में उन भौतिक तथा सांस्कृतिक विशेषताओं का अध्ययन आवश्यक है जो समरूपता व विषमता की दृष्टि से महत्वपूर्ण हों।

(3) उस प्रदेश की अपनी समीपवर्ती प्रदेश में क्या संलग्नताएं व सम्बद्धताएँ हैं, इस बारे में भी आवश्यक जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए।

उक्त तथ्यों की जानकारी प्राप्त करने व विश्लेषण करने के बाद ही किसी प्रदेश का समरूपता के आधार पर विभाजन या सीमांकन किया जाता है। प्रदेशों के सीमांकन में उद्देश्य को सबसे महत्वपूर्ण आधार माना जाता है। प्रादेशीकरण में वर्गीकरण के लिए वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करना आवश्यक होता है।

इसके लिए डॉ० ग्रिग ने प्रादेशीकरण के लिए निम्न 8 आधारों का उल्लेख किया है- 

(1) वर्गीकरण किसी एक विशिष्ट उद्देश्य को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए। सामान्यतया, इस प्रकार किया गया वर्गीकरण समान रूप से दो विभिन्न उद्देश्यों की आपूर्ति नहीं कर सकता।

(2) किसी क्षेत्र में मिलने वाले तत्वों के प्रकार में भिन्नताएं मिलती हैं। ऐसे तत्वों के आधार पर प्रदेश का वर्गीकरण संभव नहीं है जो प्रकृति से ही भिन्न हो, जैसे-चट्टान व जंगली जीव।

(3) वर्गीकरण निरपेक्ष नहीं होता। वर्गीकरण के आधारभूत तत्वों के संदर्भ में जब भी कोई नवीन सूचना उपलब्ध हो जाती है, उसी के अनुरूप प्रदेश के वर्गीकरण में संशोधन करना पड़ता है।

(4) किसी समूह के तत्वों का वर्गीकरण उन तत्वों की विशेषताओं के आधार पर किया जाना चाहिए। ऐसा न होने पर प्रादेशीकरण की योजना व्यावहारिक रूप से महत्वहीन हो जाती है।

(5) प्रदेशों का तार्किक विभाजन सारगर्भित होना चाहिए तथा प्रत्येक प्रदेश दूसरे प्रदेश से सर्वथा भिन्न होना चाहिए।

(6) प्रदेशों के विभाजन व उपविभाजन में जहां तक संभव हो एक ही सिद्धांत का अनुपालन होना चाहिए।

(7) प्रदेशों के विभाजन का सिद्धांत अथवा तथ्यों की भिन्नताएं प्रादेशीकरण के उद्देश्य से महत्वपूर्ण होती हैं।

(8) उच्च क्रम की श्रेणी के विभाजन में जिन विशेषताओं का उपयोग किया गया है, वे विशेषताएँ निम्न क्रम के श्रेणी विभाजन में प्रयुक्त विशेषताओं की तुलना में महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्रादेशिक भूगोल में प्रदेश (Region) की संकल्पना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्रदेशों के प्रकार का विस्तृत वर्णन कीजिये।
  3. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश को परिभाषित कीजिए।
  4. प्रश्न- प्रदेश को परिभाषित कीजिए एवं उसके दो प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश से क्या आशय है?
  6. प्रश्न- सामान्य एवं विशिष्ट प्रदेश से क्या आशय है?
  7. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण को समझाते हुए इसके मुख्य आधारों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के जलवायु सम्बन्धी आधार कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के कृषि जलवायु आधार कौन से हैं? इन आधारों पर क्षेत्रीयकरण की किसी एक योजना का भारत के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित मेकफारलेन एवं डडले स्टाम्प के दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के भू-राजनीति आधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  12. प्रश्न- डॉ० काजी सैयदउद्दीन अहमद का क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण क्या था?
  13. प्रश्न- प्रो० स्पेट के क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित पूर्व दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
  15. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य भी बताइए।
  16. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन की आवश्यकता क्यों है? तर्क सहित समझाइए।
  17. प्रश्न- प्राचीन भारत में नियोजन पद्धतियों पर लेख लिखिए।
  18. प्रश्न- नियोजन तथा आर्थिक नियोजन से आपका क्या आशय है?
  19. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन में भूगोल की भूमिका पर एक निबन्ध लिखो।
  20. प्रश्न- हिमालय पर्वतीय प्रदेश को कितने मेसो प्रदेशों में बांटा जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- भारतीय प्रायद्वीपीय उच्च भूमि प्रदेश का मेसो विभाजन प्रस्तुत कीजिए।
  22. प्रश्न- भारतीय तट व द्वीपसमूह को किस प्रकार मेसो प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- "हिमालय की नदियाँ और हिमनद" पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- दक्षिणी भारत की नदियों का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- पूर्वी हिमालय प्रदेश का संसाधन प्रदेश के रूप में वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारत में गंगा के मध्यवर्ती मैदान भौगोलिक प्रदेश पर विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
  27. प्रश्न- भारत के उत्तरी विशाल मैदानों की उत्पत्ति, महत्व एवं स्थलाकृति पर विस्तृत लेख लिखिए।
  28. प्रश्न- मध्य गंगा के मैदान के भौगोलिक प्रदेश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- छोटा नागपुर का पठार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  30. प्रश्न- प्रादेशिक दृष्टिकोण के संदर्भ में थार के मरुस्थल की उत्पत्ति, महत्व एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- क्षेत्रीय दृष्टिकोण के महत्व से लद्दाख पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  32. प्रश्न- राजस्थान के मैदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  33. प्रश्न- विकास की अवधारणा को समझाइये |
  34. प्रश्न- विकास के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- सतत् विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- सतत् विकास के स्वरूप को समझाइये |
  37. प्रश्न- सतत् विकास के क्षेत्र कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- सतत् विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्त एवं विशेषताओं पर विस्तृत लेख लिखिए।
  39. प्रश्न- अल्प विकास की प्रकृति के विभिन्न दृष्टिकोण समझाइए।
  40. प्रश्न- अल्प विकास और अल्पविकसित से आपका क्या आशय है? गुण्डरफ्रैंक ने अल्पविकास के क्या कारण बनाए है?
  41. प्रश्न- विकास के विभिन्न दृष्टिकोणों पर संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
  42. प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- सतत् विकास के लक्ष्य कौन-कौन से हैं?
  44. प्रश्न- आधुनिकीकरण सिद्धान्त की आलोचना पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  45. प्रश्न- अविकसितता का विकास से क्या तात्पर्य है?
  46. प्रश्न- विकास के आधुनिकीकरण के विभिन्न दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  47. प्रश्न- डॉ० गुन्नार मिर्डल के अल्प विकास मॉडल पर विस्तृत लेख लिखिए।
  48. प्रश्न- अल्प विकास मॉडल विकास ध्रुव सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा प्रादेशिक नियोजन में इसकी सार्थकता को समझाइये।
  49. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के प्रतिक्षिप्त प्रभाव सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
  50. प्रश्न- विकास विरोधी परिप्रेक्ष्य क्या है?
  51. प्रश्न- पेरौक्स के ध्रुव सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  52. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता की अवधारणा को समझाइये
  54. प्रश्न- विकास के संकेतकों पर टिप्पणी लिखिए।
  55. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय असंतुलन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता निवारण के उपाय क्या हो सकते हैं?
  57. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमताओं के कारण बताइये। .
  58. प्रश्न- संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए कुछ सुझाव दीजिये।
  59. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन का मापन किस प्रकार किया जा सकता है?
  60. प्रश्न- क्षेत्रीय असमानता के सामाजिक संकेतक कौन से हैं?
  61. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन के क्या परिणाम हो सकते हैं?
  62. प्रश्न- आर्थिक अभिवृद्धि कार्यक्रमों में सतत विकास कैसे शामिल किया जा सकता है?
  63. प्रश्न- सतत जीविका से आप क्या समझते हैं? एक राष्ट्र इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकता है? विस्तारपूर्वक समझाइये |
  64. प्रश्न- एक देश की प्रकृति के साथ सामंजस्य से जीने की चाह के मार्ग में कौन-सी समस्याएँ आती हैं?
  65. प्रश्न- सतत विकास के सामाजिक घटकों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  66. प्रश्न- सतत विकास के आर्थिक घटकों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  67. प्रश्न- सतत् विकास के लिए यथास्थिति दृष्टिकोण के बारे में समझाइये |
  68. प्रश्न- सतत विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण के बारे में लिखिए।
  69. प्रश्न- विकास और पर्यावरण के बीच क्या संबंध है?
  70. प्रश्न- सतत विकास के लिए सामुदायिक क्षमता निर्माण दृष्टिकोण के आयामों को समझाइये |
  71. प्रश्न- सतत आजीविका के लिए मानव विकास दृष्टिकोण पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  72. प्रश्न- सतत विकास के लिए हरित लेखा दृष्टिकोण का विश्लेषण कीजिए।
  73. प्रश्न- विकास का अर्थ स्पष्ट रूप से समझाइये |
  74. प्रश्न- स्थानीय नियोजन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- भारत में नियोजन के विभिन्न स्तर कौन से है? वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- नियोजन के आधार एवं आयाम कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- भारत में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में क्षेत्रीय उद्देश्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  78. प्रश्न- आर्थिक विकास में नियोजन क्यों आवश्यक है?
  79. प्रश्न- भारत में नियोजन अनुभव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय नियोजन की विफलताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- नियोजन की चुनौतियां और आवश्यकताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- बहुस्तरीय नियोजन क्या है? वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था के ग्रामीण जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की विवेचना कीजिए।
  84. प्रश्न- ग्रामीण पुनर्निर्माण में ग्राम पंचायतों के योगदान की विवेचना कीजिये।
  85. प्रश्न- संविधान के 72वें संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में जो परिवर्तन किये गये हैं उनका उल्लेख कीजिये।
  86. प्रश्न- पंचायती राज की समस्याओं का विवेचन कीजिये। पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव भी दीजिये।
  87. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यक उपागम की व्याख्या कीजिये।
  88. प्रश्न- साझा न्यूनतम कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये।
  89. प्रश्न- भारत में अनुसूचित जनजातियों के विकास हेतु क्या उपाय किये गये हैं?
  90. प्रश्न- भारत में तीव्र नगरीयकरण के प्रतिरूप और समस्याओं की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था की समस्याओं की विवेचना कीजिये।
  92. प्रश्न- प्राचीन व आधुनिक पंचायतों में क्या समानता और अन्तर है?
  93. प्रश्न- पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव दीजिये।
  94. प्रश्न- भारत में प्रादेशिक नियोजन के लिए न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के महत्व का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के सम्मिलित कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- भारत के नगरीय क्षेत्रों के प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं?

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